भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक चुप रहने वाली लड़की / रोहित ठाकुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साइकिल चलाती एक लड़की
झूला झूलती हुई एक लकड़ी
खिलखिला कर हँसने वाली एक लड़की
के बीच एक चुप रहने वाली लड़की होती है
जो कॅालेज जाती है
 अशोक राज पथ पर सड़क किनारे की पटरियों पर कोर्स की पुरानी किताब खरीदती है
 उसके चुप रहने से जन्म लेती है कहानी
 उसके असफल प्रेम की
 उसे उतावला कहा गया उन दिनों
 वह अपने बारे में कुछ नहीं कहती
 चुप रहने वाली वह लड़की
एक दिन बन जाती है पेड़
 पेड़ बनना चुप रहने वाली लड़की के हिस्से में ही होता है
एक दिन पेड़ बनी हुई लड़की पर दौड़ती है गिलहरी
हँसता है पेड़ और हँसती है लड़की
टूटता है भ्रम आदमी दर आदमी
मुहल्ला दर मुहल्ला
एक चुप रहने वाली लड़की भी
जानती है हँसना