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एक छोटा सा लड़का था मैं जिन दिनों / इब्ने इंशा
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एक छोटा सा लड़का था मैं जिन दिनों
एक मेले में पहुंचा हुमकता हुआ
जी मचलता था हर इक शय पे मगर
जेब खाली थी, कुछ मोल न ले सका
लौट आया, लिए हसरतें सैंकड़ों
एक छोटा सा लड़का था मैं जिन दिनों
खैर मेहरूमिओं के वोह दिन तो गए
आज मेला लगा है उसी शान से
जी में आता है इक इक दुकान मोल लूं
जो मैं चाहूं तो सारा जहां मोल लूं
नारसाई का अब जी में धड़का कहाँ
पर वोह छोटा सा अल्हड़ सा लड़का कहाँ ?