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एक झूठा वकार है तो रहे / सर्वत एम जमाल

एक झूठा वकार है तो रहे

कोई ईमानदार है तो रहे


जितने होने थे हो चुके हमले

शहर अब होशियार है तो रहे


देख, दामन पे कितने धब्बे है

जिस्म अगर शानदार है तो रहे


हाल औरों का सोच ले, तुझ पर

सच अभी तक सवार है तो रहे


आपको इस घने कुहासे में

धूप का इन्तिज़ार है तो रहे


फूल पौधे झुलस गए कब के

अब चमन में बहार है तो रहे


कुछ कहो, दांत होते हैं बत्तीस

इक जुबां धारदार है तो रहे