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एक टमाटर एक चुकंदर / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
एक टमाटर एक चुकंदर,
फ्रिज़ में से ले आया बन्दर।
पहले उसने फ्रिज़ को खोला।
हाथ डालकर ख़ूब टटोला।
आलू बैगन भरे पड़े थे।
गाजर मूली बहुत कड़े थे।
पर वह तो मोती चुन लाया,
छाना उसने गहन समुन्दर।
लाल चुकंदर खून बढ़ाते।
और टमाटर ताकत लाते।
मुन्ना रोज़ पाठ पढता है।
बन्दर छुप-छुपकर सुनता है।
अभी मिला मौका उसको तो,
बन बैठा था वीर सिकंदर।
आज टमाटर वह खायेगा।
लाल गुल्लका हो जाएगा।
बना चुकंदर की तरकारी,
खा लेगा सारी की सारी।
मित्रो से बोलेगा, लड़ लो,
आओ दम है जिसके अंदर