भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक दशमलब एक लिखा है / अभिषेक औदिच्य
Kavita Kosh से
'एक दशमलव एक' लिखा है जहाँ-जहाँ पर,
आओ दस से गुणा करें ग्यारह हो जाएँ
तुम्हें दाहिने और हमें बाएँ कर डाला,
सामंजस के आँगन में भी खींचा पाला।
कटुता का विष-बिन्दु घृणा का द्योतक है,
उसी बिंदु पर आओ भाई रबर चलाएँ।
विषम अंक जब सम से काटे जाते हैं,
परिणामों में तभी दशमलव आते हैं।
सभी विषमताओं को आओ सम कर लें,
भाग हटा कर गुणाकार का चिह्न लगाएँ।