एक दिन तुमसे मिलेगा / राम लखारा ‘विपुल‘
एक दिन तुमसे मिलेगा बावरा मन
आस का दीपक जलाना छोड़ना मत।
क्या मिला है एक दूजे से बिछुड़कर,
दर्द का दामन पकड़कर जी रहे हम।
हंस रहे संसार के सम्मुख निरन्तर,
किंतु भीतर आंसुओं को पी रहे हम।
एक मनका प्यार का फिर कह रहा है,
प्रेम का धागा कभी भी तोड़ना मत।
पढ अगर पाते नयन के शुभ्र अक्षर,
साधना यह सिद्ध हो जाती कभी की।
और अर्चन की ऋचा भी अर्थ पाकर,
जिन्दगी का सार हो पाती कभी की।
फिर नयन को सूचना है इक नयन की,
पृष्ठ लोचन ग्रंथ का तुम मोड़ना मत।
हो गए है दूर पर इतना समय है,
लौटकर फिर जी सकें जीवन पुराना।
आज को इतना बुरा मत जान लेना,
कल इन्हीं बातों पे होगा मुस्कुराना।
वक्त अपनी आंच में पक्का करेगा,
जानकर कच्चे घड़ें तुम फोड़ना मत।
एक दिन तुमसे मिलेगा बावरा मन
आस का दीपक जलाना छोड़ना मत।