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एक पत्ता कहीं हिला होता / रवि सिन्हा
Kavita Kosh से
एक पत्ता कहीं हिला होता ।
उनको मौसम से कुछ गिला होता ।
यूँ बग़ावत ख़िज़ाँ<ref>पतझड़ (Autumn)</ref> से मुमकिन था
एक ज़िद्दी सा गुल खिला होता ।
बात फैले शजर<ref>पेड़ (Tree)</ref> से जंगल तक
कोई ऐसा भी सिलसिला होता ।
क्या शिकायत थी इस बियाबाँ से
एक इसमें जो क़ाफ़िला होता ।
हम भी तारीख़ कुछ बना देते
साथ गर आप का मिला होता ।
दर पे दस्तक तिरे तसव्वुर<ref>कल्पना, ख़्याल (Imagination, contemplation)</ref> की
तुझ मुजस्सम<ref>साकार, सशरीर (incarnate, corporeal)</ref> का दाख़िला होता ।
तुम जो मुझसे लगी नदी होतीं
मैं भी तुझसे लगा क़िला होता ।
शब्दार्थ
<references/>