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एक प्यार सबकुछ / शांति सुमन

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मुझमें अपनापन बोता है
सांझ-सकारे यह मेरा घर

उगते ही सूरज के-
रोशनदान बांटते ढेर उजाले
धूपों के परदे में
खिल-खिल उठते हैं खिड़की के जाले
चिडि़यों का जैसे खोता है
झिन-झिन बजता है कोई स्वर

एक हंसी आंगन से उठती
और फैल जाती तारों पर
मन की सारी बात लिखी हो
जैसे उजली दीवारों पर
एक प्यार सबकुछ होता है
जिससे डरते हैं सारे डर

दरवाज़े पर सांकल मां की
आशीषों से भरी उंगलियां
पिता कि जैसे बाम-फूटती
एक स्वप्न में सौ-सौ किलयां
जहां परायापन रोता है
लुक-छिप खुशी बांटती मन भर