भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक बार फिर / निदा नवाज़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक बार फिर
धरती पर उतरेगा पूनम
अधपके सपने चिनार छाँव में
साकार होजाएंगे
एक बार फिर
उगल देगी मेरी धरती
कैसरी सुगंध
एक बार फिर
इच्छाओं की आषाढ़ी बूंदें
संघर्ष की सीपियों में उपजेंगी
तर्क के मोती
एक बार फिर
मदमाते मस्त होंठों पर
खिल जाएगी चुम्बन की आंच
दल के मुरझाये कंवल
एक बार फिर खिल जाएंगे
पहलगाम की हरी भरी पगडंडयों पर
किसी चरवाहे की बेटी
एक बार फिर गाएगी
कोई रमणीय मिलन गीत
एक बार फिर
असफल होजाएगा अन्धेरा
रौशनी के हाथों.