एक मिनट का मौन / एम्मानुएल ओरटिज़ / असद ज़ैदी
इससे पहले कि मैं यह कविता पढ़ना शुरू करूँ, मेरी गुज़ारिश है कि हम सब एक मिनट का मौन रखें, ग्यारह सितम्बर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन में मरे लोगों की याद में ।
और फिर एक मिनट का मौन उन सब के लिए जिन्हें प्रतिशोध में सताया गया, क़ैद किया गया, जो लापता हो गए जिन्हें यातनाएँ दी गईं, जिनके साथ बलात्कार हुए एक मिनट का मौन, अफ़गानिस्तान के मज़लूमों और अमरीकी मज़लूमों के लिए
और अगर आप इज़ाजत दें तो
एक पूरे दिन का मौन हज़ारों फिलस्तीनियों के लिए जिन्हें उनके वतन पर दशकों से काबिज़ इस्त्राइली फ़ौजों ने अमरीकी सरपरस्ती में मार डाला
छह महीने का मौन उन पन्द्रह लाख इराकियों के लिए, उन इराकी बच्चों के लिए, जिन्हें मार डाला ग्यारह साल लम्बी घेराबन्दी, भूख और अमरीकी बमबारी ने
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरू करूँ
दो महीने का मौन दक्षिण अफ़्रीका के अश्वेतों के लिए जिन्हें नस्लवादी शासन ने अपने ही मुल्क में अजनबी बना दिया।
नौ महीने का मौन हिरोशिमा और नागासाकी के मृतकों के लिए, जहाँ मौत बरसी, चमड़ी, ज़मीन, फ़ौलाद और कंक्रीट की हर पर्त को उधेड़ती हुई, जहाँ बचे रह गए लोग इस तरह चलते-फिरते रहे जैसे कि ज़िन्दा हों।
एक साल का मौन विएतनाम के लाखों मुर्दों के लिए...कि विएतनाम किसी जंग का नहीं, एक मुल्क का नाम है...
एक साल का मौन कम्बोडिया और लाओस के मृतकों के लिए जो एक गुप्त युद्ध का शिकार थे... और ज़रा धीरे बोलिए,
हम नहीं चाहते कि उन्हें यह पता चले कि वे मर चुके हैं। दो महीने का मौन कोलम्बिया के दीर्घकालीन मृतकों के लिए जिनके नाम
उनकी लाशों की तरह जमा होते रहे, फिर गुम हो गए और ज़बान से उतर गए ।
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरू करूँ ।
एक घण्टॆ का मौन एल सल्वादोर के लिए
एक दोपहर भर का मौन निकारागुआ के लिए
दो दिन का मौन ग्वातेमालावासियों के लिए
जिन्हें अपनी ज़िन्दगी में चैन की एक घड़ी नसीब नहीं हुई।
45 सेकेण्ड का मौन आकतिआल, चिआपास में मरे 45 लोगों के लिए,
और पच्चीस साल का मौन उन करोड़ों गुलाम अफ्रीकियों के लिए
जिनकी क़ब्रें समुन्दर में हैं इतनी गहरी कि जितनी ऊँची कोई गगनचुम्बी इमारत भी न होगी।
उनकी पहचान के लिए कोई डीएनए टेस्ट नहीं होगा, दन्त चिकित्सा के रिकॉर्ड नहीं खोले जाएँगे ।
उन अश्वेतों के लिए जिनकी लाशें गूलर के पेड़ों से झूलती थीं
दक्षिण, उत्तर, पूर्व और पश्चिम
एक सदी का मौन
यहीं इसी अमरीका महाद्वीप के करोड़ों मूल बाशिन्दों के लिए
जिनकी ज़मीनें और ज़िन्दगियाँ उनसे छीन ली गईं
पिक्चर पोस्ट्कार्ड से मनोरम खित्तों में...
जैसे पाइन रिज वूण्डेड नी, सैण्ड क्रीक, फ़ालन टिम्बर्स, या ट्रेल ऑफ टियर्स ।
अब ये नाम हमारी चेतना के फ्रिजों पर चिपकी चुम्बकीय काव्य-पंक्तियाँ भर हैं।
तो आप को चाहिए खामोशी का एक लम्हा ?
जबकि हम बेआवाज़ हैं
हमारे मुँहों से खींच ली गई हैं ज़बानें
हमारी आखें सी दी गई हैं
ख़ामोशी का एक लम्हा
जबकि सारे कवि दफ़नाए जा चुके हैं
मिट्टी हो चुके हैं सारे ढोल ।
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरू करूँ
आप चाहते हैं एक लम्हे का मौन
आपको ग़म है कि यह दुनिया अब शायद पहले जैसी नहीं रही रह जाएगी
इधर हम सब चाहते हैं कि यह पहले जैसी हर्गिज़ न रहे ।
कम से कम वैसी जैसी यह अब तक चली आई है ।
क्योंकि यह कविता 9 /11 के बारे में नहीं है
यह 9 / 10 के बारे में है
यह 9 / 9 के बारे में है
9 / 8 और 9 / 7 के बारे में है
यह कविता 1492 के बारे में है ।
यह कविता उन चीज़ों के बारे में है जो ऐसी कविता का कारण बनती हैं।
और अगर यह कविता 9 /11 के बारे में है, तो फिर :
यह सितम्बर 9, 1973 के चीले देश के बारे में है,
यह सितम्बर 12, 1977 दक्षिण अफ़्रीका और स्टीवेन बीको के बारे में है,
यह 13 सितम्बर 1971 और एटिका जेल, न्यू यॉर्क में बन्द हमारे भाइयों के बारे में है।
यह कविता सोमालिया, सितम्बर 14, 1992 के बारे में है ।
यह कविता हर उस तारीख के बारे में है जो धुल-पुँछ रही है और मिट जाया करती है।
यह कविता उन 110 कहानियो के बारे में है जो कभी कही नहीं गईं, 110 कहानियाँ
इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में जिनका कोई ज़िक्र नहीं पाया जाता,
जिनके लिए सीएनएन, बीबीसी, न्यू यॉर्क टाइम्स और न्यूज़वीक में कोई गुंजाइश नहीं निकलती ।
यह कविता इसी कार्यक्रम में रुकावट डालने के लिए है।
आपको फिर भी अपने मृतकों की याद में एक लम्हे का मौन चाहिए ?
हम आपको दे सकते हैं जीवन भर का खालीपन :
बिना निशान की क़ब्रें
हमेशा के लिए खो चुकी भाषाएँ
जड़ों से उखड़े हुए दरख़्त, जड़ों से उखड़े हुए इतिहास
अनाम बच्चों के चेहरों से झाँकती मुर्दा टकटकी
इस कविता को शुरू करने से पहले हम हमेशा के लिए ख़ामोश हो सकते हैं
या इतना कि हम धूल से ढँक जाएँ
फिर भी आप चाहेंगे कि
हमारी ओर से कुछ और मौन ।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन
तो रोक दो तेल के पम्प
बन्द कर दो इँजन और टेलिविज़न
डुबा दो समुद्री सैर वाले जहाज़
फोड़ दो अपने स्टॉक मार्केट
बुझा दो ये तमाम रँगीन बत्तियाँ
डिलीट कर दो सारे इंस्टेंट मैसेज
उतार दो पटरियों से अपनी रेलें और लाइट रेल ट्राँजिट ।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन, तो टैको बैल की खिड़की पर ईंट मारो,
और वहाँ के मज़दूरों का खोया हुआ वेतन वापस दो । ध्वस्त कर दो तमाम शराब की दुकानें,
सारे के सारे टाउन हाउस, व्हाइट हाउस, जेल हाउस, पेण्टहाउस और प्लेबॉय ।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन
तो रहो मौन सुपर बॉल इतवार के दिन
फ़ोर्थ ऑफ़ जुलाई के रोज़
डेटन की विराट 13-घण्टे वाली सेल के दिन
या अगली दफ़े जब कमरे में हमारे हसीं लोग जमा हों
और आपका गोरा अपराधबोध आपको सताने लगे ।
अगर आपको चाहिए एक लम्हा मौन
तो अभी है वह लम्हा
इस कविता के शुरू होने से पहले ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Emmanuel Ortiz
A Moment of Silence
Before I begin this poem, I’d like to ask you to join me in a moment of silence in honor of those who died in the World Trade Center and the Pentagon on September 11th, 2001.
I would also like to ask you to offer up a moment of silence for all of those who have been harassed, imprisoned, disappeared, tortured, raped, or killed in retaliation for those strikes, for the victims in Afghanistan, Iraq, in the U.S., and throughout the world.
And if I could just add one more thing…
A full day of silence… for the tens of thousands of Palestinians who have died at the hands of U.S.-backed Israeli forces over decades of occupation.
Six months of silence… for the million and-a-half Iraqi people, mostly children, who have died of malnourishment or starvation as a result
of a 12-year U.S. embargo against the country.
…And now, the drums of war beat again.
Before I begin this poem, two months of silence… for the Blacks under Apartheid in South Africa, where “homeland security” made them aliens in their own country
Nine months of silence… for the dead in Hiroshima and Nagasaki, where death rained down and peeled back every layer of concrete, steel, earth and skin, and the survivors went on as if alive.
A year of silence… for the millions of dead in Viet Nam—a people, not a war—for those who know a thing or two about the scent of burning fuel, their relatives bones buried in it, their babies born of it.
Two months of silence… for the decades of dead in Colombia, whose names, like the corpses they once represented, have piled up and slipped off our tongues.
Before I begin this poem,
Seven days of silence… for El Salvador
A day of silence… for Nicaragua
Five days of silence… for the Guatemaltecos
None of whom ever knew a moment of peace in their living years.
45 seconds of silence… for the 45 dead at Acteal, Chiapas…
1,933 miles of silence… for every desperate body
That burns in the desert sun
Drowned in swollen rivers at the pearly gates to the Empire’s underbelly,
A gaping wound sutured shut by razor wire and corrugated steel.
25 years of silence… for the millions of Africans who found their graves far deeper in the ocean than any building could poke into the sky.
For those who were strung and swung from the heights of sycamore trees
In the south… the north… the east… the west…
There will be no dna testing or dental records to identify their remains.
100 years of silence… for the hundreds of millions of indigenous people
From this half of right here,
Whose land and lives were stolen,
In postcard-perfect plots like Pine Ridge, Wounded Knee, Sand Creek, Fallen Timbers, or the Trail of Tears
Names now reduced to innocuous magnetic poetry on the refrigerator of our consciousness…
From somewhere within the pillars of power
You open your mouths to invoke a moment of our silence
And we are all left speechless,
Our tongues snatched from our mouths,
Our eyes stapled shut.
A moment of silence,
And the poets are laid to rest,
The drums disintegrate into dust.
Before I begin this poem,
You want a moment of silence…
You mourn now as if the world will never be the same
And the rest of us hope to hell it won’t be.
Not like it always has been.
…Because this is not a 9-1-1 poem
This is a 9/10 poem,
It is a 9/9 poem,
A 9/8 poem,
A 9/7 poem…
This is a 1492 poem.
This is a poem about what causes poems like this to be written.
And if this is a 9/11 poem, then
This is a September 11th 1973 poem for Chile.
This is a September 12th 1977 poem for Steven Biko in South Africa.
This is a September 13th 1971 poem for the brothers at Attica Prison, New York.
This is a September 14th 1992 poem for the people of Somalia.
This is a poem for every date that falls to the ground amidst the ashes of amnesia.
This is a poem for the 110 stories that were never told,
The 110 stories that history uprooted from its textbooks
The 110 stories that that cnn, bbc, The New York Times, and Newsweek ignored.
This is a poem for interrupting this program.
This is not a peace poem,
Not a poem for forgiveness.
This is a justice poem,
A poem for never forgetting.
This is a poem to remind us
That all that glitters
Might just be broken glass.
And still you want a moment of silence for the dead?
We could give you lifetimes of empty:
The unmarked graves,
The lost languages,
The uprooted trees and histories,
The dead stares on the faces of nameless children…
Before I start this poem we could be silent forever
Or just long enough to hunger,
For the dust to bury us
And you would still ask us
For more of our silence.
So if you want a moment of silence
Then stop the oil pumps
Turn off the engines, the televisions
Sink the cruise ships
Crash the stock markets
Unplug the marquee lights
Delete the e-mails and instant messages
Derail the trains, ground the planes.
If you want a moment of silence, put a brick through the window
of Taco Bell
And pay the workers for wages lost.
Tear down the liquor stores,
The townhouses, the White Houses, the jailhouses, the Penthouses
and the Playboys.
If you want a moment of silence,
Then take it
On Super Bowl Sunday,
The Fourth of July,
During Dayton’s 13 hour sale,
The next time your white guilt fills the room where my beautiful brown people have gathered.
You want a moment of silence
Then take it
Now,
Before this poem begins.
Here, in the echo of my voice,
In the pause between goosesteps of the second hand,
In the space between bodies in embrace,
Here is your silence.
Take it.
Take it all.
But don’t cut in line.
Let your silence begin at the beginning of crime.
And we,
Tonight,
We will keep right on singing
For our dead.