एक वक़्त की रोटी खाते आधे हिन्दुस्तानी लोग / उदयप्रताप सिंह
एक वक़्त की रोटी खाते आधे हिन्दुस्तानी लोग
काले धन पर फिर कैसे इतराते हैं अभिमानी लोग
लागत से कम दाम पर करते खेती और किसानी लोग
इसे भाग्य का खेल बता कर करते हैं शैतानी लोग
ऊंची कुर्सी पर बैठे जो करते बेईमानी लोग
काश सोचते सरहद पर क्यों देते है क़ुर्बानी लोग
देशप्रेम के छद्म भेष में करते है मन मानी लोग
स्वर्गलोक में रोते होंगे स्वतन्त्रता सैनानी लोग
दिखारहे है संस्कृति की हमको तस्वीर पुरानी लोग
घुमा फिरा कर छिपा रहे हैअपनी कारिश्तानी लोग
संसद में दिखलावे को दिखलाते हैं हैरानी लोग
ऐसे कैसे महलाओं से करते हैं हैवानी लोग
सुबह कई टीवी पर सुनवाते हैं अमृत वाणी लोग
आँखे बंद किये रहते हैं सारे ज्ञानी ध्यानी लोग
मिड डे मील योजना का सुख भोग रहे वरदानी लोग
बच्चे ऐसे जाते जैसे खाते है मेहमानी लोग