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एक सदी से मैं तेरे बग़ैर सो न सका / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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एक सदी से मैं तेरे बग़ैर सो न सका
नुकीली नींद आंखो में कहाँ चूभती है
तड़प रही है कमरे में एक ज़ख्मी रात