भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक सवाल / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चे आज भूल गए हैं
शोले के उस गब्बर को।
बच्च-बच्चा पूछ रहा है
चंदन तस्कर वीरप्पन को॥

कृष्णा-करुणा को शर्तें
बतलाकर वीरप्पन बोले।
रो ले कृष्णा रो ले
रो ले करुणा रो ले।

वाह रे! हमारा भारत देश,
क्या हो रहा तेरा हाल
तेरी मर्दानगी पर लगाया
वीरप्पन ने सवाल।