एक साँचे में ढाल रक्खा है,
हमने दिल को सम्हाल रक्खा है,
तेरी दुनिया की भीड़ में मौला,
खुद ही अपना ख़याल रक्खा है,
दर्द अब आँख तक नहीं आता,
दर्द को दिल में पाल रक्खा है,
चलके उल्फ़त की राह में देखा,
हर क़दम पर वबाल रक्खा है
एक साँचे में ढाल रक्खा है,
हमने दिल को सम्हाल रक्खा है,
तेरी दुनिया की भीड़ में मौला,
खुद ही अपना ख़याल रक्खा है,
दर्द अब आँख तक नहीं आता,
दर्द को दिल में पाल रक्खा है,
चलके उल्फ़त की राह में देखा,
हर क़दम पर वबाल रक्खा है