एक सार्वजनिक उलझन / शमशाद इलाही अंसारी
अजीब कशमकश है मित्रों
एक रिपोर्ट बताती है
देश में करोड़पतियों की संख्या
१.५३ करोड़ हो गयी है.
देश विद्युत गति से प्रगति पथ पर
अग्रसर है.
बस कहीं कहीं भट्टा परसौल
कभी गुहाटी में किसानों पर
बरसती गोलियां
कभी उडीसा में हाथ में हाथ डाले
आदिवासियों की मानव श्रंखला
कभी बस्तर में गर्जन
कभी अन्ना का लोकपाल
कभी रामदेव को दिल्ली से भगाना
कभी काले धन पर गर्र गर्र
कभी इरोम पर दस साला गुंडई चुप्पी
..ये फ़ेहरिस्त लम्बी हो जायेगी
और कविता भी
चलो, इन धब्बों को मिटा देते हैं
अभी ईद, दशहरा-दिवाली आने को है
करोडपतियों की नंगी नुमाईश होगी
फ़िर किसी का वार्डरोब खिसकेगा
और दिन भर दुहराई जायेगी वह खबर
विज़ुएल के साथ.
मेरी मेज पर एक बडा सा नोट है
हर सप्ताह, बिला नागाह
मुझे लाना होता है
एक लाटरी का टिकट
कोई, बेसब्री के साथ
इंतज़ार जो करता है
अपने करोड़ पति होने का.
रचनाकाल: जून २४,२०११