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एक / नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह’
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जुध सूं पैली
सींव बंट्योड़ी होवै
दो देसां रै बिचाळै
अर जुध रै पछै
सीवां मिट जावै
दोनूं देसां रै बिचाळै!