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एतबे वचन मोतीराम सुनै छै / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एतबे वचन मोतीराम सुनै छै
गरजि गरजि ताल मोती ठोकै छै
सुनु हे मैया तू सहोदरा
एक बेर सिंघलदीपमे जयबै
डोलाँ फनाँ पुतुहुआ के लौबऽ
खबरि जना दे बहिन सहोदरी के
एमरी बिअहबा भगीनमा करबै गै
साजल बरियाती सिंघलदीपमे
साथे बान्ह हजमा के खोलैबै
एत्ते बात जे दादा सुनैय
सुग्गा हीरामनि के दादा भेजै
राज सतखोलियामे सुग्गा जुमै छै
सब बरनन वनसप्ति के कहै छै
एक सय एक यार तैयारी करीयौ
कानी करिकन्हा के दुलहा सजौबीयै
एमरी बिअहबा करिकन्हा मालिक के हयतै गै।
एत्तेक बात बनसप्ति सुनैय
सतक भार बनसप्ति करैय
एक सय एक भा तैयारी भऽ गेल
सात सय हाथी महिसौथा जुमि गेल
सब बरियाती एकट्ठा भऽ गेल
गरजि गरजि ताल मोती ठोकैय
सोंटा सड़र के काँख दबौलकै
मंगल महोतिया केवल किरतिया
संग लगाबैय दादा नरूपिया
साजल बरियाती सिंघलदीपमे जाइ छै
तबे जवाब करिकन्हा दै छै
सुनऽ सुनऽ हे मोती मामा
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
केकर बेटा बाघ बीयेलै
दुनियाँमे तोरा जीततै
जादू लगमे बल तोरा नै हयतै
माता वनसप्ति के संग लगालीयौ हे
चौदह विद्या मैया हमर लगै छै
संगमे मैया हमर लऽ लियौ है
कल से लड़तै कल से लड़बै
बल से लड़तै बल से लड़बै
जादू के जाल मैया हमर लड़तै हौ।।
डोला फनाँ कनियाँ के लेबै।
डोला फनाँ कनियाँ मामा सिंघलदीप से ल लेबै हौ।