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एलान-ए-जंग / अली सरदार जाफ़री

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गांधी जी जंग का एलान कर दिया
बातिल से हक़ को दस्त-ओ-गरीबान कर दिया

हिन्दुस्तान में इक नयी रूह फूंककर
आज़ादी-ए-हयात का सामान कर दिया

शेख़ और बिरहमन में बढ़ाया इत्तिहाद
गोया उन्हें दो कालिब-ओ-यकजान कर दिया

ज़ुल्मो-सितम की नाव डुबोने के वास्ते
क़तरे को आंखों-आंखों में तूफ़ान कर दिया