एशियाई हुस्न की तस्वीर है मेरी ग़ज़ल
मशरिकी फन में नई तामीर है मेरी ग़ज़ल
सालहा जो हीर व राँझा की नज़रों में पले
उस सुनहरे ख़्वाब की तामीर है मेरी ग़ज़ल
इसकी अस्मत वक्त के हाथों न नंगी हो सकी
यूँ समझिए द्रौपदी की चीर है मेरी ग़ज़ल
दिल लिए शीशे का देखो संग से टकरा गई
बर्गे गुल की शक्ल में शमशीर है मेरी ग़ज़ल
गाँव के पनघट की रंगीनी बयां कैसे करें
भुखमरी की धूप में दिलगीर है मेरी ग़ज़ल
दूर तक फैले हुए सरयू के साहिल पे 'अदम'
शोख़ लहरों की लिखी तहरीर है मेरी ग़ज़ल