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ए साक़िआ मस्ताना मेरी कौन सुनेगा / कांतिमोहन 'सोज़'
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ए साक़िआ मस्ताना मेरी कौन सुनेगा I
ख़ाली मेरा पैमाना मेरी कौन सुनेगा II
कोई न सुने मेरी फ़क़त इतना बता दे
किसका है ये मैख़ाना मेरी कौन सुनेगा I
अब तो वो ज़माना है कि रूदाद पे मेरी
हंस पड़ता है वीराना मेरी कौन सुनेगा I
मैंने तो सदा प्यार ही बांटा है हबीबो
किस बात का जुर्माना मेरी कौन सुनेगा I
दीवाना बताता है मुझे शाम से पहले
ये दौर है दीवाना मेरी कौन सुनेगा I
ये कौन सी महफ़िल है जहां शमा से पहले
जल जाता है परवाना मेरी कौन सुनेगा I
मयखाने में भूले से चला आया था लेकर
धज अपनी फ़क़ीराना मेरी कौन सुनेगा II