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ऐसी मन में आयो रे / बुल्ले शाह

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ऐसी मन में आयो रे। दुक्ख सुक्ख सभ वं´ारेओ रे।
हार शिंगार को आग लगाऊँ, तन पर ढाँड मचायो रे।
सुण के ज्ञान कीआँ ऐसी बाताँ,
नाम निशाँ तभी अनघाताँ।
कोयल वाँङ मैं कूकाँ राताँ,
तैं अजे भी तरस ना आयो रे।
गल मिरगानी सीस खप्परिआँ,
दरशन की भीख मंगण चढ़िआ।
जोगन नाम बहुलत धरेआ,
अंग भिबूत रूमायो रे।
इशक मुल्लाँ ने बाँग सुणाई,
एह गल्ल सुणनी वाजब आई।
कर कर सिजदे सिदक वल्ल धाई,
मुँह मैहराब टिकारियो रे।
प्रेम नगर वाले उल्टे चाले,
मैं मोई भर खुशिआँ नाले।
आण फसी आपे विच्च जाले,
हस्स हस्स आप कुहायो रे।
बुल्ला सहु संग प्रीत लगाई,
जी जामे दी दित्ती साई।
मुरशद शाह अनायत साईं,
जिस दिल भरमायो रे।

शब्दार्थ
<references/>