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ऐसे क़ातिल से बचिए जो रक्षक भी होता है / डी. एम. मिश्र
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ऐसे क़ातिल से बचिए जो रक्षक भी होता है
गुड़ में ज़हर मिलाने वाला वंचक भी होता है
आंख बंद करके दुनिया पर यूं विश्वास न करना
बकरे का मालिक, बकरे का भक्षक भी होता है
खिलती कलियों का बाज़ारों में सौदा कर आता
बेशक माली गुलशन का संरक्षक भी होता है
उसके दिल में भी यह बात कभी तो आती होगी
ज्यादा प्यार जताने वाला शोषक भी होता है
दानी बनकर नाम कमाना कितना अच्छा लगता
पैसे वालों का भंडारा व्यापक भी होता है
अपनी मर्जी का मालिक वो कैसे फिर हो सकता?
रोजी-रोटी की ख़ातिर जो बंधक भी होता है