ऐसे तट हैं --
क्यों इन्कारें
किरणें खीज
खुरच जाती हैं
माटी पर दो - चार दरारें
ऐसे तट हैं --
क्यों इन्कारें
भरी - भरी - सी
सांस - झील पर
तन-मन प्यासे पंख पसारें
ऐसे तट हैं --
क्यों इन्कारें
परदेशी
बुद बुदे देखने
कंकर फैंकें, थकन उतारें
ऐसे तट हैं --
क्यों इन्कारें