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ऐ घोड़े चराने वाली कुड़िए / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल
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ऐ घोड़े चराने वाली कुड़िए
कोई गीत सुना
तेरा वह गीत मुझे अच्छा लगेगा
जो उन दिनों में
गाया हो
घोड़ों को चराते-चराते
जब तेरा मन भर आया हो।
जब हाथ पर कुदाल तेरे
ज़मीदार ने मारी थी
कैसे तड़पी थी माँ
कैसे वह सब सहा था?
कब जागेंगे वीर*
कब होंगे जवान
कब चराएँगे घोड़े
कब खींचेंगे कमान।
- वीर — भाई।
मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल