भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऐ रै वादा करके आया सै वा पूरी कर दे सारी / अमर सिंह छाछिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐ रै वादा करके आया सै वा पूरी कर दे सारी।
ना तो या कुर्सी खाली कर दे म्हारी।...टेक

फुल बिजली द्यूंगा थामनै या भी कही थी।
कदे शाम नै ना आई बिजली अन्धेरे म्हं रोटी खाई थी।
जागिरदारां कै होवै लाभ इस गरीब की मर आई थी।
बिना बिजली भी बिल उतणा ए आया या थारी धक्का सांई था।
मार कै डांट पाड्या मीटर तनै चोट दर्द पै मारी...

सतलुज का ल्याऊं पाणी यो भी जिकर चलाया था।
वोट लेण के मारे नै इसनै देश भकाया था।
फुल बहुमत आया इसका उड़ै यो जिताया था।
घर का राज बणा के इननै लुटा खसौट मचाया था।
कित आवै सै पाणी तेरा जनता कस्सी ठारी...

घर-घर म्हं एक नै काम देवै था।
जितनी विकेन्सी सैं वो सारी भरै था।
कदे सुणाई होई नहीं उसनै भी लेवै था।
भूख देश म्हं रह कोनी रोजगार सबनै देवै था।
तनै एक भी लिया नहीं म्हारी अक्ल मारी...

वोट देवते आऐ थामनै ना म्हारी सुणाई होई।
हाथ जोड़ मांगूं माफी इबकै दे दे भाई।
थारी भका म्हं आकै नै हम नै ठोकर खाई।
जान तलक भी द्यंूगा कसम तेरी ए खाई।
अमरसिंह कहै थारी जब्त जमानत इबकै बी.एस.पी. आरी...