Last modified on 7 नवम्बर 2010, at 18:00

ऐ हुस्न-ए-बेपरवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ / बशीर बद्र

ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ

गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी
सोया हुआ मंज़र<ref>दृश्य

</ref> कहूँ या जागता सपना कहूँ

चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी
जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या- क्या कहूँ क्या न कहूँ

शब्दार्थ
<references/>