ओ मेरे प्रात के सपने ! 
मुझे न और छलो । 
तुम भी सपने संग न लिपटो, 
नकटे निकल चलो। 
ओ मेरे प्रात के सपने.... 
इस ठगनी की चंचल चितवन,
हमका गई बिलो। 
ओ मेरे प्रात के सपने...
सपने की हानि क्या हानि, 
काहे लाभ मिलो? 
ओ मेरे प्रात के सपने...... 
वह जिसने हमको बाँथा था,
कहीं नहीं हैं वो । 
ओ मेरे प्रात के सपने