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ओळख !/ कन्हैया लाल सेठिया

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आंई
खिणां में है
काळ जयी खिण
दीठ चाहीजै,

आंईं
सबदां में है
परम सबद
परख चाहीजै,

आईं
सुरां में है
अनहद
ओळख चाहीजै !