भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओळख / मोनिका गौड़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थूं है
कुण?
आरसी ज्यूं
साम्हीं ऊभो
म्हनैं इज
बतळावै
म्हारा ई सैनाण
अर ओळखाण
गम्योड़ो म्हारो ‘म्हैं’
थूं कठै सूं
ढूंढ लायो है बावळा....।