भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओस / अनातोली परपरा
Kavita Kosh से
|
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
सुबह घास पर दिखे घनी
रत्न-राशि की कनी
नीलम-रूप झलकाए
हरित-मणि-सी छाए
कभी जले याकूत-सी
स्फटिक शुचि शरमाए
करे धरती का शृंगार
लगे मोहक सुभग तुषार
पल्लव-पल्लव छाए
बीज को अँखुआए
बने वह स्वाति-मुक्ता
चातक प्यास बुझाए
दुनिया में जीवन रचती
इसके बिना न घूमे धरती