भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओस / आलोक धन्वा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शहर के बाहर का
यह इलाक़ा

ज़्यादा जुती हुई ज़मीन
खेती की

मिट्टी की क्यारियाँ हैं
दूर तक
इन क्यारियों में बीज
हाथ से बोए गए हैं

कुछ देर पहले ज़रा-ज़रा
पानी का छिड़काव किया गया है !

इन क्यारियों की मिट्टी नम है

खुले में दूर से ही दिखाई
दे रही शाम आ रही है

कई रातों की ओस मदद करेगी
बीज से अंकुर फूटने में !