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ओही में भठइबर / विनय राय ‘बबुरंग’

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तपली जिनिगिया के अब का तपइबऽ।
मुरुख बनाई हमें अब ना जुझइबऽ॥

सोनवा उगाई हम भरली गोदमवां
कउड़ी के तीनि कइलs धिरिक जिवनवां
अब नाहीं अधिका तूं मुरुख बनइबs,
तपली जिनिगिया के अब का तपइबऽ॥

लूटि-लूटि देसवा कऽ कइलऽ बरबदिया -
केतनां क लेई लिहलऽ आल्हरि जिनिगिया

अब कबो हमनी के धूरि ना फंकईबs,
तपली जिनिगिया के अब का तपइबऽ॥

वोट मांगे अइलऽ तऽ का कइलऽ वादा
मिलते कुरुसिया के हो गइलऽ दादा
कुल्हि करऽ हमनी के अब ना भंजइबs,
तपली जिनिगिया के अब का तपइबऽ॥

रउदलि घास अब चढ़िहें अकसवा
तोहके मेटाई के बनइहें सुदेसवा
ओवा खनऽ अपने तूं ओही में भठइबऽ,
तपली जिनिगिया के अब का तपइबऽ॥

सहली जुलुम सइतनवन कऽ बानी
उतरल जियते जिनिगिया कऽ पानी
मुअलीं बहुत हमें अब मुअइबs,
तपली जिनिगिया के अब का तपइबऽ॥