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ओ उल्लू मियाँ / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
ओ उल्लू मियाँ, ओ उल्लू मियाँ,
बन्द करो, अपने घर की बत्तियाँ,
क्या तुम्हें नींद नहीं आती है?
क्या तुम्हें कोई बात सताती है?
चलो, आँखें बन्द करो अपनी,
अब, तुम आराम से सो जाओ।
रात कितनी गहरी हो चुकी है,
मीठे-मीठे सपनों में खो जाओ।
ओ उल्लू मियाँ, ओ उल्लू मियाँ,
बन्द करो, अपने घर की बत्तियाँ,