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ओ जानेवाले, हो सके तो लौट के आना / शैलेन्द्र
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ओ जानेवाले, हो सके तो लौटके आना
ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना
ओ जानेवाले, हो सके तो लौटके आना
बचपन के तेरे मीत, तेरे संग के सहारे
ढूँढ़ेंगे तुझे गली-गली सब ये ग़म के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
ओ जानेवाले, हो सके तो लौटके आना
दे-दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
फिर जाए जो उस पार कभी लौट के न आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना
ओ जानेवाले, हो सके तो लौटके आना
(फ़िल्म - बन्दिनी 1963)