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ओ जोगी, जब से तू आया मेरे द्वारे / शैलेन्द्र
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ओ जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे
जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे, ओ मेरे रंग गए साँझ-सकारे
तू तो अँखियों से जाने जी की बतियाँ
तोसे मिलना ही जुल्म भया रे
जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे
देखी साँवली सूरत, ये नैना जुड़ाए
तेरी छब देखी जब से रे
तेरी छब देखी जब से रे
नैना जुड़ाए, भये बिन कजरा ये कजरारे
जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे …
जाके पनघट पे बैठूँ, मैं राधा दीवानी
जाके पनघट पे बैठूँ
बिन जल लिए चली आऊँ, राधा दीवानी
मोहे अजब ये रोग लगा रे
जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे …
मीठी-मीठी अगन ये, सह ना सकूँगी
मीठी-मीठी अगन
मैं तो छुईमुई अबला रे
मैं तो छुईमुई अबला रे, सह ना सकूँगी
मेरे और निकट मत आ रे
जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे …
(फ़िल्म - बन्दिनी 1963)