ओ
मेरी तुम
लुका छिपी अब
बहुत हो गयी
सारे सपने
रात धो गयी
सोग मनाना
व्यर्थ है अब तो
चलो करें 
उदयोग नया कुछ
तोडें 
नयी जमीन।
 ओ
मेरी तुम
लुका छिपी अब
बहुत हो गयी
सारे सपने
रात धो गयी
सोग मनाना
व्यर्थ है अब तो
चलो करें 
उदयोग नया कुछ
तोडें 
नयी जमीन।