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कंगस्या / मुरली दीवान

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नारी अपडु<ref>अपना</ref> चरित्र निर्माण करू
सामाजिक काम करू , धाण करू
तीलू रौतेली सी नारि , रामि बौराणी सी ब्वारी
मुल्क मा अपड़ि अलग पछ्याण करू।

गौरा देवी अर बछेंद्रीपाल जन<ref>जैसे</ref>बणिक <ref>बनकर</ref>आज
बार -बार नयु कीर्तिमान चैंदु<ref>चाहता हूँ</ref>
जख<ref>जहां</ref> दया धरम करम संस्कार पैदा होंदा
मीतैं<ref>मुझको</ref>बगीचा सो बगवान चैंदू।

आज त आतंकवाद बणी भुला
वोडा -वोडा<ref>खेत की सीमा रेखा तय करने वाला पत्थर</ref> पर विबाद बणी भुला
द्वी झणो का बीच द्वी भयों की राजी खुसी मा
जिंदगी भर कु मवाद पड़ी भुला

आज तु नि चैंदु आज भगत सिंग चैंदु भुला
आज वी पवित्र बलिदान चैंदु
जख दया धरम करम संस्कार पैदा होंदा
मीतैं बगीचा सो बगवान चैंदू।

शब्दार्थ
<references/>