भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कंपन / तसलीमा नसरीन
Kavita Kosh से
|
कहते हैं- तीस बरस में घटने लगता है
मुहब्बत का शीत।
लेकिन मैं देख रही हूँ तीस के ऊपर देह विपरीत।
मूल बांग्ला से अनुवाद : मुनमुन सरकार