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कई सवाल तो ऐसे भी जी में आये हैं / गुलाब खंडेलवाल
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कई सवाल तो ऐसे भी जी में आये हैं
कि सुनके जिनको बहुत आप मुस्कुराये हैं
नशे-नशे में उन्हें कह दिया है क्या हमने?
वे आज हमसे निगाहें मिला न पायें हैं
भले ही राह में दिल की थे सैकड़ों तूफ़ान
मगर हम आपकी लौ को बचाके लाये हैं
हमारी राह में आये है कुछ ऐसे भी मुकाम
वे बेनक़ाब हैं, मुँह को हमीं छिपाये हैं
गुलाब! आपकी ख़ुशबू भी उनको क्या मिलती
जो अपने पाँव पँखुरियों पे रखके आये हैं