भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कउन बैरिन सेजिया डँसावल / मगही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कउन बैरिन सेजिया डँसावल,<ref>बिछाया</ref> दियरा<ref>दीपक</ref> बरावल<ref>जलाया</ref> हे।
अरे, कउन बैरिन भेजले दरदिया, करेजे मोरा सालय हो॥1॥
चेरिया बैरिन सेज डाँसल, दियरा बरायल हे।
ननद भइया भेजलन दरदिया, दरदे करेजे सालय हे॥2॥
अब नहीं पिया सँग सोयबो, न बबुआ खेलायब हे।
ललना, अब नहीं नयना मिलायब, दरद करेजे साले हे॥3॥
आधी राती गेल, पहर राती, होरिला जलम लेल हे।
ललना, बजे लागल अनन्द बधावा, महल उठे सोहर हे॥4॥
अब हम पिया सँघे जायब, नयन जुड़ायब हे।
ललना, अब हम बबुआ खेलायब, अब हम सहब<ref>सहन करूँगी</ref> दुख हे॥5॥
होयते जे बबुआ के बिआह, अउर जग मूड़न<ref>मुण्डन संस्कार</ref> हे।
ललना, होयत बबुआ के कनछेदन<ref>कर्णभेद संस्कार</ref> ननद न बोलायब हे॥6॥
होयते बबुआ केरा बिआह, आउर जग-मूड़न हे।
ललना, होयत बबुआ के कनछेदन, अपने से आयम हे॥7॥

शब्दार्थ
<references/>