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कणूका-च्यार / देवकी दर्पण ‘रसराज’
Kavita Kosh से
जो लड़ोकड़ो
दांत्या करबाळो
पण
पीसा हाळो
सेठ छै
उंकी
थाणा सूं लेय’र
मंतरी-संतरी
तांई पैठ छै।