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कत्ते लोक चिन्ता करओ ? / तारानंद वियोगी
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अन्तरिक्षमे जा क’ मुइलीक कल्पना चावला
तें कि लोक अन्तरिक्ष जाएब छोड़ि देत ?
हमर पिता कहथि-
पानि हेलनिहार पानियें में मरैत अछि
गाछ चढ़निहार गाछे सँ (खसि क’)
बड़ बेस बड़ बेस पिता !
मुदा जीवन जीनिहार जीवनमे नहि मरि जाइछ ?
आ मृत्युक व्यवसायी मृत्युएमे ?
कत्ते लोक चिन्ता करओ ?