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कभी खुशी मिली तो कभी गम कहीं मिला / जगदीश चंद्र ठाकुर
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कभी खुशी मिली तो कभी गम कहीं मिला 
जो भी मिला किसी से कभी कम नहीं मिला |
उड़ता है प्रेम जैसे टिकिया कपूर की 
किसी भी दोस्ती में कोई दम नहीं मिला |
न मैंने उन्हें जाना, न समझे वे मुझे 
मिलते रहे ये हाथ मगर मन नहीं मिला |
चढ़ना पड़ा कहीं तो उतरना पड़ा कहीं 
रास्ता कहीं भी  कोई सम नहीं मिला |
आकाश की आँखों में भी पानी नहीं बचा 
भेजेगा वो पत्थर ही अगर बम नहीं मिला |
 
	
	

