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कभी भरोसा किया तो होता / रंजना वर्मा

कभी भरोसा किया तो होता
हमें भी तुम ने पढ़ा तो होता

भले नहीं मिलता कोई क़ासिद
कभी कोई ख़त लिखा तो होता

तलाश ही लेते हम भी मंजिल
मगर तुम्हारा पता तो होता

छुपा के सीने में रख भी लेते
हमें कभी दिल दिया तो होता

वो पास आता कभी हमारे
कभी बना दिलरुबा तो होता

कभी विसाले सनम भी होता
कभी कोई रतजगा भी होता

झुका के सर ग़म कबूल करते
उसे हमारा लिखा तो होता