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कभी हाल दिल का जताने से पहले / रचना उनियाल
Kavita Kosh से
कभी हाल दिल का जताने से पहले,
परख जाँ को लेना सुनाने से पहले।
समझ मौसिकी को सधे सुर भी तेरा,
न हो बेसुरा गुनगुनाने से पहले।
करें जो कभी हम कोई नाफ़रमानी,
बताना सनम मुँह फुलाने से पहले।
यहाँ ज़िन्दगी में मिलें फूल काँटे,
ज़रा सोच ले दिल लगाने से पहले।
मुक़ाबिल रहे जो कभी दुश्मनी भी,
सदा दाँव चलना हराने से पहले।
भला कौन जाने कहाँ ज़ख्म दिल में,
छिपा दर्द को मुस्कुराने से पहले।
दुआ करती ‘रचना’ सितारें ही चमकें,
बुझे क्यों कभी जगमगाने से पहले।