उनको
मेरा नमन्
कमल के खिले नयन का
जो जल थल के मिले योग से
मृदु मृणाल पर जनमे
महाकाल के सूक्ष्म तत्व से विकसे
अग्निमुखी ऊर्जा के तप से निखरे
पवन प्राण में
रचनाकाल: संभावित १९७१
उनको
मेरा नमन्
कमल के खिले नयन का
जो जल थल के मिले योग से
मृदु मृणाल पर जनमे
महाकाल के सूक्ष्म तत्व से विकसे
अग्निमुखी ऊर्जा के तप से निखरे
पवन प्राण में
रचनाकाल: संभावित १९७१