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करया सवाल जहर अमृत का या तकरार चलाई अक ना / मेहर सिंह

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वार्ता- प्रिय सज्जनों अंजना की शादी राजकुमार पवन से हो जाती है। अंजना की सहेलियां पवन का उपहास करती हैं। पवन इस बात को दिल से लगा लेता है। शादी के बाद जब वे रत्नपुरी नगरी मंे पहुंचते हैं तो पवन अंजना को क्या कहता है-

कमरे में दस पांच सहेली बैठ कै बतलाई अक ना
करया सवाल जहर अमृत का या तकरार चलाई अक ना।टेक

थारे मैं तैं सखी कोण जो ब्याही अमृत घर देहली पै
इतणा बोझ टेकणा ना था ज्ञान ईश्क की बेली पै
खाऐ बिना कोए सखस मरया ना चाहे धर दे जहर हथेली पै
तनै भी जोर जमाणा था अपणी सखी सहेली पै
तूं मनै बुरा बतावै थी तेरे पलै बंधी बुराई अक ना।

जिस दिन तै तरी बात सुणी मेरे नाग गात मैं लड्या हुया
थारी बातां नै सुण रहया था कमरे आगै खड़या हुआ
मेरी आंख फरकती भूजा फड़कती मेरे माथे में बल पड़्या हुया
चन्द्रमणी बनिये की लड़की सखीयां नै धमकाई अक ना।

तनै सेवा करणी चाहिए थी तूं पति की दास रही कोन्या
जहर अमृत के फंदे मैं साजन कै कदे फही कोन्या
अकलमन्द भरपूर ज्ञान मैं तनै सच्ची बात कही कोन्या
एक और सखी का जिक्र करूं मनै तेरे बारे मैं लही कोन्या
तूं मेरी खता बतावै थी ईब तेरी गलती पाई अक ना।

राजमहल का रैहणा छुट्या दुहागी महल में कर डेरा
लैम्प रोशनी कुछ ना दिखै दिन मैं घोर अंधेरा
अंजना तै दुहाग दे दिया नगरी नै पटग्या बेरा
मैं छत्री तेरी जात बीर की ना शीश काट लूं हे तेरा
जाट मेहर सिंह सोच समझ कै कर ली मनै समाई अंक ना।