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करवा-चौथ / प्रमोद कुमार

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तुम वहाँ से देख रही हो चाँद को
मैं यहाँ से उसी चाँद को देख रहा हूँ,

हमारा इस तरह दूर-दूर तक
एक साथ देखना
हमें कितने पास-पास ला देता है ।