भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

करिया के सुध म / मुरली चंद्राकर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तोर सुरता में धुनेल भैगे करिया
मोला अलिन-गलिन में सुनेल भैगे करिया
सरी मझानियाँ डहर लागे सुन्ना
पाछू परे बैरी छैहा डरेल भैगे करिया
सुध के बुध में गयेंव मैं नरवा तिर में
आभा मारथे चिरैया गुनेल भैगे करिया
नरवा झिरिया झुखागे मिठलबरा
मोला आंखी के आँसू पियेल भैगे करिया
निठुर मयारू जोड़ी होगे परबुधिया
कौने गली बिलमाये जोहे ल भैगे करिया
तिरिया के पिरिया में किरिया समागे
मुड़ बोझा होगे झौहाँ थेम्हेल भैगे करिया
जियत मरत के मयारू-मन-बोधना
जैसे तेल बिना बाती जरे ल भैगे करिया