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करे तमाशा प्यारी मुनिया (कविता) / शकुंतला कालरा

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टोली संग मदारी आया,
मुनिया को भी लेकर आया।
पहने लहँगा लाल चुनरिया,
चकरी-सी घूमे है मुनिया।

कैसी करती खेल-तमाशा,
आओ मीना, आओ आशा।
देखो वह करतब दिखलाती,
झटपट रस्सी पर चढ़ जाती।

आडी-तिरछी, पीछे-आगे,
हाथ हिलाती उस पर भागे।
दाएँ जाती, बाएँ आती,
इक कोने से दूजे जाती।

कैसे नाचे, झूमे, गाए,
देख-देखकर मन घबराए।
पकड़े बाँस, घूमती जाती,
नहीं तनिक डरती-घबराती।

लो रस्सी से नीचे झूली,
साँसे सबकी फूली-फूली।
हाय गिरि वह, सब चिल्लाए,
बच्चे, बूढ़े सब घबराए।

चक्कर खाकर नीचे आई,
सबने थोड़ी राहत पाई।
करे तमाशा प्यारी मुनिया,
अजब निराली उसकी दुनिया।